शिव स्तुति

आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा,

निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,
जगत सर्जक प्रलय करता शिवम सत्यम सुंदरा ,

निरंकार स्वरूप कालेश्वर महा योगीश्वरा ,
दयानिधि दानिश्वर जय जटाधार अभयंकरा,

शूल पानी त्रिशूल धारी औगड़ी बाघम्बरी ,
जय महेश त्रिलोचनाय विश्वनाथ विशम्भरा,

नाथ नागेश्वर हरो हर पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले सदा शिव शिव संकरा,

जगत पति अनुरकती भक्ति सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब जय जयति जगदीश्वरा,

जनम जीवन जगत का संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन जपता रहे पञ्चाक्षरा,

आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदम्बरा,
कोटि कोटि प्रणाम संभु कोटि नमन दिगम्बरा,


शिव आरती

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥